ये समाज-तन-मन और जीवन, अनुपम हमको प्रभु का वरदान। ये समाज-तन-मन और जीवन, अनुपम हमको प्रभु का वरदान।
तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी तुम मुझे प्रेम करो और करे उतना ही प्रेम मुझे तुम्हारी संतति भी
ताकत अपनी भुजाओं में रखते लक्ष्य निगाहों में कोमल हैं कमजोर नहीं शौर्य हैं, हम शक्ति ताकत अपनी भुजाओं में रखते लक्ष्य निगाहों में कोमल हैं कमजोर नहीं शौर्य ...
वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है। वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है।
प्रेम की अन्यतम परिभाषा पिता हैं... समर्पण की अनन्य गाथा पिता हैं... प्रेम की अन्यतम परिभाषा पिता हैं... समर्पण की अनन्य गाथा पिता हैं...
पर शौक सारे इनके घरवालों में ही पूरे हो जाते हैं। पर शौक सारे इनके घरवालों में ही पूरे हो जाते हैं।